मानव रोग ll human disease

नमस्कार दोस्तो आज हम इस लेख में मानव रोग (human disease)  के बारे में विस्तार से जानेंगे । 

इस लेख में बताये जाने वाले मुख्य बिंदु निम्न प्रकार से हैं:-

 1) मानव रोग ll human disease 

 2) प्रोटोजोआ द्वारा होने वाला रोग (Disease cause by Protozoan)

 3) कवक द्वारा होने वाला रोग(Disease cause by Fungus)

 4) जीवाणु द्वारा होने वाला रोग(Disease cause by Bacteria)

 5) विषाणु जनित रोग(Disease cause by Virus)

1) मानव रोग ll human disease

 ★. मानव शरीर के किसी अंग में होने वाला विकार या विकृति को रोग कहा जाता है। रोग कई प्रकार के होते हैं- 

1. जन्मजात रोग या अनुवांशिक रोग (Genetic Diseases): यह रोग पीढी-दर-पीढ़ी जाता रहता है।

Ex:- हीमोफीलिया- रक्त का धक्का न बनना। 

रक्त वर्णाधता - लाल और हरा रंग का न दिखना।

 सिजोफ्रेनिया (Brain में) - अकेले में चात करना, हँसना, रोना, गुस्सा करना आदि।

2. असंक्रामक रोग (Non-Infectious/Non-Comunicable Disease): वैसा रोग जो एक से दूसरे में नहीं फैलता है।

Ex :- कैंसर, हृदय रोग, किडनी रोग, आदि।

3. संक्रामक रोग (Infectious or Communicable Dis- ease): वैसा रोग जो जीवों में एक से दूसरे में संपर्क में आने से फैल जाए उसे संक्रामक रोग कहते हैं।

Ex :- चेचक, TB संक्रामक रोग हैं जो मुख्यत: प्रोटोजोआ कवक, कृमि, जीवाणु तथा विषाणु द्वारा फैलता है।

2) प्रोटोजोआ द्वारा होने वाला रोग (Disease cause by Protozoan)

मानव रोग ll human disease

★. पेचिस (Dysentery): यह एंटामीबा हिस्टोलिटिका नामक प्रोटोजोआ से होता है। इसमें बड़ी आंत प्रभावित होती है। यह दूषित जल तथा दूषित भोजन से फैलता है।
★. कालाजार (Black Fever): यह सिक्ता/बालू मक्खी (Sandfly) द्वारा फैलता है। इसमें तिल्ली या प्लीहा (Spleen) प्रभावित होता है। यह लिश्मनिया नामक प्रोटोजोआ से होता है।
★. मलेरिया (Malaria): यह बीमारी प्लाज्मोडियम नामक प्रोटोजोआ से होता है। यह एस्पोरोजोआइट अवस्था में होता है। एक प्रोटोजोआ को मादा एनाफिलीज नामक मच्छर अपने साथ ले जाती है। मलेरिया में Spleen प्रभावित होता है | 
Note :- नर एनाफिलीज मच्छर सरीफ होता है यह खून नहीं चूसता है बल्कि फूलों का रस चूसता है। मलेरिया की दवा क्लोरोक्वीन है।
➤ जो मलेरिया की दवा कुनैन से बनता है जो सिनकोना के छाल से प्राप्त होता है। दुनिया का ५०% सिनकोना इण्डोनेशिया के जावा द्वीप पर पाया जाता है।
★. निद्रानु रोग (Insomania) : यह बीमारी ट्रीपनोसीन नामक प्रोटोजाला से होता है। इस प्रोटोजोआ को सी-सी मक्खी (Tse-Tse) बहत करती है इससे तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है।
★. पायरिया (Payaria):- यह पष्ट अमीब जीन्जीचेरी द्वरा होता है। जजे दूषित जल में पाया जाता है। इस बीमारी से मसूड़े प्रभावित होते हैं।

3) कवक द्वारा होने वाला रोग(Disease cause by Fungus)


Note:- कवक से त्वचा में खुजली उत्पन्न हो जाती है।

★ कृमि (हेल्मेन्थिज) द्वारा होने वाला रोग है।
1. फाइलेरिया (शिलापद) Filariasis: इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं। यह बुचेरेरिया वैन्क्रॉफ्टी नामक गोलकृमि से होता है। इसमें लसिका तंत्र प्रभावित होता है। इस कूमि को मादा क्यूलेक्स मच्छर वहन करती है।
2. अतिसार (डायरिया):- यह बीमारी एस्कोरिस नामक कृमि द्वारा होता है इसमें आंत में घाव हो जाती है। अकबर की मृत्यु इसी बीमारी से हुई थी।
विभिन्न प्रकार के मच्छर तथा मक्खी से होने वाला रोग(Vector Disease):-
1. मादा एनाफिलीज मच्छर - मलेरिया
2 . मादा क्यूलेक्स मच्छर - फाइलेरिया
3. मादा एडिस मच्छर - डेंगू
4. मादा सी-सी मक्खी- सोने की बीमारी (Sleeping sickness)
5. घरेलू मक्खी - हैजा (कॉलरा)।
6. सिक्ता/बाल/ Sandy मक्खी - कालाजार

4) जीवाणु द्वारा होने वाला रोग(Disease cause by Bacteria)

★ डिप्थीरिया : डिप्थीरिया में श्वसन तंत्र प्रभावित होता है। यह कोरोनी बैक्टिरीयम डिप्थीरी नामक जीवाणु से होता है। डिप्थीरियासे बचने के लिए D.P.T. (डिप्थीरिया टिटनेस कुकुर खाँसी) टीका देते हैं। D.P.T. को Triple वैक्सीन भी कहते हैं।★प्लेग: प्लंग को काली मौत कहते हैं। यह चूहों के द्वारा फैलता है। इसका कारक पाश्चुरेला पैस्टीस नामक जीवाणु है।
★सिफलिस : सिफलिस तथा गोनोरिया जमुनतंत्र से संबंधित रोग है। सिफलिस का कारक ट्रैपोनेमा तथा गोनोरिया के कारक निसेरिया गोनोरिया है।
★टीटनेस:- टिटनेस को धन्त्रदंकार या Look Jaw (जबड़ा) भी कहते हैं। इसके मरीज को अँधेरे रूम में रखते हैं। इस बीमारी का कारक ब्लोस्टोडियम टिटेनी है।
★कुष्ठ (Leprosy):- कुष्ठ रोग में शरीर के अंग कट कट कर गिरने लगते हैं। इसका कारक Mychobacterium Lapri है। MDT इसकी दवा है।
टाइफाइड/मोतीझरा :-इस बीमारी में आंत प्रभावित होती है इसे मियादी बुखार भी कहते है। इसका कारक साल्मोनेला टाइफी है। 
TB/ तपेदिक क्षयरोग (Tuberculosis):- इसे यक्ष्मा,तपेदिक, क्षयरोग भी कहते है। इससे फेफड़े प्रभावित होते हैं। यह दूध के माध्यम से फैलता है। इसका कारक माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलोसिस है।
बच्चा=BCG
वयस्क (Adult)= DOTS (Directly Observed Treatment)
★निमोनिया (Pneumonia): निमोनिया में फेफड़े जाम हो जाते हैं।
★हैजा (Cholera): इसे कॉलरा भी कहते हैं। इससे आंत प्रभावित होता है। यह रास दूषित जल तथा दूषित भोजन से होता है। इसका कारक विचित्रों कॉलेरी है।

 5) विषाणु जनित रोग(Disease cause by Virus)

AIDS➤: इस बीमारी में रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है। इसमें WBC को T-कोशिकाएँ प्रभावित होती है। Aquired fimmuno Deficiency Syndrom कहते हैं।

HIV➤ (Human Immuno Virus) द्वारा होता है।

विश्व में एड्स का पहला मरीज 1981 में कैलिफोर्निया में देखा गया। हालाकि इसका नामकरण 1982 में किया गया। भारत में यह पहली बार बीमारी 1992 में गोवा में देखी गयी। HIV वायरस एक प्रकार का RNA वायरस है।

★एड्स रक्त असुरक्षित प्रदान, असुरक्षित शारीरिक संबंध के कारण फैलता है।

HIV★ की जांच एलिसा (ELISA) जाँच द्वारा करते हैं।

★इन्जाइम Enzyme linked Immuno solvent Assy.

★डेंगू रोग (Dengue): इसे हड्‌डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। यह मादा एडिस के काटने से होता है। इसमें रक्त प्लेट लेट्स प्रभावित होता है।

★पोलियो (Polio): यह Intro Virus द्वारा फैलता है। इसमें लासिका तथा तंत्रिका प्रभावित होती है।

पोलियो ड्रॉप की खोज एडवर्ड ब्रूस सेविन ने किया जबकि पोलियों का टोका की खोज जोनास सॉल्क ने किया।

पोलियो दूषित जल तथा दूषित भोजन के कारण होता है।

27 मार्च 2014 को WHO ने भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया।

इन्फ्लुएंजा यह Mixo Virus द्वारा होता है। इससे श्वसन तंत्र प्रभावित होता है, इसे सामान्य भाषा में फ्लू भी कहते हैं।

Bird Flu-H, N₁ (मुर्गी से)

Swine Flu H, N, (सुअर से)

★चेचक (Small pox): यह वैरियांला वायरस से होता है। इसमें त्वचा प्रभावित होती है। इस टीका की खोज एडवर्ड जेनर ने किया। पहले भारत में यह एक महामारी के रूप में बीमारी थी। जिससे सैकड़ों लोगों की जान जाती थी किन्तु 1975 के बाद इसका भारत से उन्मूलन (समाप्त) कर दिया गया।

★गलसुआ (Mumps):- इसमें लार ग्रंथि प्रभावित होती है यह भी एक प्रकार का विषाणु जनित रोग है।

★ खसरा (Measles):- यह छोटे बच्चे में होता है इसमें त्वचा तथा श्वसन (measles) तंत्र प्रभावित होता है यह एन्टीबायोटिक

द्वारा ठीक हो सकती है किन्तु वर्तमान में इसका कोई भी

एन्टीबायोटिक उपलब्ध नहीं है

★ट्रैकोमा (Trachoma):- इससे आँख प्रभावित होता है। आँख पर मांस छा जाता है। 

★हेपेटाइटिस/पीलिया (Jaundice): यह RNA वायरस से होता है। इससे यकृत प्रभावित होता है। 

★मेनिनजाइटिस :-इससे मस्तिष्क प्रभावित होता है।

Note:- अल्जाइमर तथा सिजोक्रिनीया नामक बीमारी में मस्तिष्क प्रभावित होता है।

★हर्पीज: इससे त्वचा प्रभावित होती है। 

रैबीज: यह कत्ते के काटने से होता है। इसमें तंत्रिका तंत्र प्रभावित

होता है। रैबीज वायरस की खोज लुई पाश्चर ने किया था।

 Remark :- मिर्गी/अपस्मार नामक बीमारी में तंत्रिका तंत्र प्रभावित होती है। यह बीमारी अत्यधिक मात्रा में पानी देखने पर या तापमान बढ़ने पर हो जाता है।

कैंसर (Cancer): कोशिकाओं में हुए असामान्य वृद्धि को कैंसर (कर्क) रोग कहते हैं। इसे ल्यूकेमिया के नाम से जाना जाता है। कैंसर होने में जो समय लगता है उस समय को लैटेन्ट पीरियड कहा जाता है। कैंसर के लिए किमोथेरेपी का प्रयोग करते हैं। कैंसर का अध्ययन Anchology कहलाता है। कैंसर का इलाज गामा किरण (Cobalt-60) तथा इन्टरफेरॉन दवा से होता है। कैंसर से प्रभावित कोशिका को नियोप्लाज्मा या ट्यूमर कहते हैं।

Deficiency Diesease: वैसी बीमारी जो किसी पोषक पदार्थ के कमी के कारण होता है उसे Deficiency Disease बीमारी कहते हैं।

Ex:- एनिमिया (आयरन की कमी), घेघा (आयोडीन की कमी), क्वासिक्यिोर तथा भरास्मस (प्रोटीन की कमी से), रतौंधी, बेरी-बेरी, स्कर्वी, रिकंटस इत्यादि विटामिनों की कमी से होने वाले रोग हैं।

दवाइयों के प्रकार (Types of Medicine): दवाई शरीर में पहुँचकर WBC को मजबूत कर देता है और उन्हें बीमारियों सe लड़ने के लिए उत्तेजित करती है।

1. Anti-biotic (प्रतिजैविक) यह जीवाणुओं को मार देता है। Ex :- पेनिसिलीन, क्लोसमदसेटीन, स्ट्रेटोमाइसीन, ट्रेटाइसाक्लीन।

2. Anti-sebtic जंगनाशी रोगाणुनाशी प्रतिरोध यह घाव को ठीक करता है।

Ex: बोरिक अम्ल, डीटॉल, आयोडीन क्लेरोमीन फीनॉल, क्लोरोचेन्जीन। 

3. Anti-pyretic (ज्वरनाशी) यह बुखार को ठीक करता है। Ex:- स्त्रीन, संरांपाच्चरीन, परासीटामाल, क्लोरो आक्सीनाल 

4. Anal-gesic (पीड़ाहारी या दर्द निवारक) यह दर्द को ठीक करता है। इसके सेवन के बाद नींद आने लगता है। Ex:- माफीन, हीरोइन 

5. के काम में आता है। Anti-fertility (प्रति दुश्मन प्रजनन) यह बेहोश करने

Ex:- क्लोरोफार्म, ईथर, लोकल Anesthisia

★ क्लोरोफार्म को रंगीन बोतल में रखा जाता है क्योंकि यह सूर्य के प्रकाश में अभिक्रिया कर लेता है। इसका रासायनिक नाम ट्राइक्लोरो मिथेन (CHCI) होता है।

Toxic-effect★➤ :- औषधी के अधिक सेवन से उसका जहरीला प्रभाव पड़ने लगता है। इसे ही Toxic प्रभाव कहते हैं। जैसे माफीन की अधिक सेवन से सांस संबंधित समस्या होती है।

Saline★ (पानी बोतल) तत्काल ऊर्जा की आवश्यकता के लिए Saline चढ़ाया जाता है। यह कई प्रकार का होता है।

1. Dextose/D-5/D-10: यह सामान्य बीमारी तथा Delivery के समय चढ़ाया जाता है किन्तु खाँसी के मरीज को नहीं चढ़ाया जाता है।

2. N.S. (Normal saline): इसका उपयोग डिहाइड्रेशन की स्थिति में (Loss of Water), खून की कमी की स्थिति में, घाव को साफ करने में, इंजेक्शन को घोलने में इसका प्रयोग किया जाता है। 24 घंटे में NS का 3.4 बोतल चढ़ाया जा सकता है। High BP में इसका प्रयोग नहीं किया जाता है। केवल Blood-Sugar को दिया जाता है।

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