कुल - रूबिएसी (Family- Rubiaceae)
निदानिक लक्षण - पौधे शाकीय या काष्ठीय, पत्तियाँ सरल, सम्मुख एवं क्रॉसित (opposite and decussate) अनुपर्ण बहुधा अन्तरावृन्तक (interpertiolar stipule) बहुधा समीमाक्षी पुष्पक्रम, पुष्प त्रिज्यासममित (actinomorphic) अभलिंगी (Bisexual) जायांगोपरिक (epigynous) बाह्यदल चार या पाँच, स्वतंत्र, दल चार या पाँच, संयुक्त कीपाकार (infundibuliform) या दीपाकार (hypocrataeirform), संयुक्त, पुंकेसर चार या पाँच, दललग्न, जायांग-द्वि से पंचामण्डपी, युक्तांडपी, अण्डाशय, अधोवर्ती, फल बेरी या संपुटिका (Berry or Capsule) भ्रूणपोषी बीज (endospermic seed)।
वितरणटइस कुल के सदस्य मुख्यतः उष्णकटिबंधीय (Tropical) हैं। कुछ वंश जैसे रूबिया (Rubia) क्रूसियानिल्ला (Crucianella) शीतोष्ण (Temperate) क्षेत्रों में तथा कुछ वंश जैसे गेलियम (Galium) उत्तर ध्रुवीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
प्रकृति
रूबिऐसी प्रमुख रूप से एक काष्ठीय (arborescent) वर्गक (Taxon) है। सिनकोना आफीसिनेलिस (Cinchona officinalis) नाक्लिया कदम्बा (Nauclea cadamba) आदि वृक्ष हैं। मुस्सेण्डा-लूटिओला (Mussaenda luteola) हेमेलिया पेटेन्स (Hamelia patns) कोफिया अरेबिका (Coffea arabica) क्षुप एवं गेलियम (Galium), बोरेरिया (Borreria), ओल्डेनलेण्डिया (Oldenlandia) शाकीय पौधों के उदाहरण हैं। इस कुल के कुछ सदस्य आरोही (climbers) होते हैं। अन्केरिया (Uncaria) एक हुक आरोही है। शाखाएँ हुक में रूपान्तरित होती हैं। रूबिया टिन्कटोरिया (Rubia tinctoria) अन्य पौधों पर कठोर पीछे मुड़े हुए रोमों द्वारा आरोहण करता है। इसमें फूले हुए बीजोधर (Hypocotyl) से कंद समान (Tuler like) स्तम्भ परिवर्धित होता है। यह स्तम्भ अनियमित दीर्घाओं (galleries) द्वारा छिद्रित (perforated) होता है। इसमें चीटियाँ निवास करती हैं। डूरोइया सेक्सीफेरा (Durora saccifera) के फूले हुए फ्लास्कनुमा (flask like) पर्णाधार में चीटियाँ निवास करती हैं। डूरोइया हिरसुटा (Duroia hirsuta) डुरोयिया पेलिओलेरिस (Duroia perliolaris) नाक्लिया (Nauclea) में चीटियाँ पुष्पक्र के नीचे शून (swollen) खोखले पर्व में निवास करती हैं। ये चीटियाँ सम्भवतः पुष्पों की अन्य हानिकारक कीटों से रक्षा करती हैं। उन धों को जिनमें चीटियाँ निवास करती हैं मिर्मीकोफिलस (Myrecophylous) कहते हैं।
पर्ण
पर्ण सरल, एवं क्रॉसिव जोड़ों में पाए जाते हैं। इस। कुल का विशिष्ट लाक्षणिक गुण अनुपर्ण है जो बहुधा आन्तरावृन्तक प्रकार के होते हैं अर्थात् दो सम्मुख पत्तियों के वृन्त के मध्य स्थित रहते हैं। कुछ पौधों में अनुपर्ण अन्तवृन्ती (intrapetiolar) होते हैं।
कुछ पौधों में एक पर्णसंधि (node) पर उत्पन्न होने वाले विभिन्न पर्णों के निकटस्थ अनुपर्ण संयुक्त हो जाते हैं। जैसे गार्डेनिया (Gardenia) में चारों अनुपर्ण संयुक्त होकर एक शंक्वाकार छद (concical cap) बनाते हैं। अनपणों के आधार पर ग्रंथियाँ पाई जाती हैं, जिसे श्लेष्म (Mucilage) का उत्सर्जन प्रचुर मात्रा में होता है। यह श्लेष्म कलिका को ढँके रखता है। अनुपर्ण अग्रस्थ शिशु कलिका की रक्षा करते हैं तथा उसके खिलने पर टूट कर गिर जाते हैं। पेण्टाम (Pentas) में अनुपर्ण शूक के समान (bristle like) होते हैं। प्रत्येक शूक के शीर्ष पर एक रेजिन स्स्रावित करने वाली ग्रंथि पाई जाती है। गेलियम (Galium) में अनुपर्ण पत्ती के समान होते हैं। ये पत्तियों की आवर्त रूप (Verticillate) व्यवस्था के सदृश्य होते हैं। कक्षस्थ प्ररोह की अनुपस्थिति के कारण इन अनुपणर्णों को पर्णों में विभिदित किया जा सकता है।पुष्पक्रम
सामान्यतः पुष्पक्र ससीमाक्षी होता है। हेमेलिया (Hamelia) में पुष्पक्रम प्रारंभ में बहुशाखीय होता है। बाद में यह एक शाखा में परिवर्तित हो जाता है। मुस्सेण्डा (Mussaenda) पेण्टास (Pentas) मैं युग्मशाखित समीमाक्ष (dichasial cyme) एकशाखी समीमाक्ष (Monochasical cyme) में परिवर्तित हो जाता है। नॉक्लिया (Nauclea) तथा सिफेलेन्थस (Cephalanthus) में कन्दुकाकार (globose) मुण्डक (head) होता है जो एसीमाक्ष पुष्पक्र के संघनित होने के कारण बनता है। मोरिण्डा (Morinda) में मुण्डक के विभित्र पुष्पों के अण्डाशयों में पार्श्व ससंजन पाया जाता है।
पुष्प
पुष्प सहपत्री (Bracteate) प्रायः सहपत्रकी (Bracteopate), सावृन्त (Pedicillate), पूर्ण (Complete) त्रिज्यसममित (actinonrorphic) कभी-कभी एकत्रिज्या सममित (zygomorphic) उदा.- पोसोक्वेरिया (Posoqueria) पंच या चतुर्तयी (Penta Tetramerous) प्रायः द्विलिंगी कभी-कभी एकलिंगी उदा. कोप्रोस्मा (Corprosma) बहुधा जायांगोपरिक (epigynous) कदाचित परिजायांगी (Perigynous) उदा. साइनेप्टेन्था (Synaptantha) या जायांधर (hypogynous) उदा. पगामिया (Pagamea) I
बाह्यदल
4-5 बाह्यदल, संयुक्त कभी-कभी स्वतंत्र तथा कोरस्पर्शी। मुस्समेण्डा तथा वारसेविक्जिया में एक बाह्यदल अतिवृद्धि कर अन्य बाह्यदलों की अपेक्षा बड़ा हो जाता है। यह रंगीन होता है, इसलिए कीटों को आकर्षित करता है।
दलपुंज
दल संख्या में 4-5 व संयुक्दली होता है। दल विन्यास विभिन्न प्रकार का पाया जाता है। कोरस्पर्शी (Valvate) उदा. मुस्सेण्डा (Mussaenda) ओल्डेनलण्डिया (Oldenlandia) कोरछादी (Imbricate) उदा. राण्डेलटिया (rondeltia) या व्यावर्तित (twisted) उदा. गार्डेनिया (Gardenia) में दीवटाकार (hypocrataerifrom) उदा. मुस्सेण्डा (Mussaenda) हेनरीक्वेजिया (Henriquezia) में।
पुमंग
4-5 पुंकेसर, स्वतंत्र (Polyandrous) दललग्न (epipetalous) तथा दलों मसे एकान्तरक्रम (alternate) में स्थित होते हैं। परागकोष अन्तर्मुखी (Introse), द्विकोष्ठी (dithecous) एवं आधारलग्न (Basifixed) होते हैं। ये लम्बवत् रेखाछिद्रों से स्फुटित होते हैं।
जायांग
द्वि से बहुअण्डपी (Bi to Polycarpellary) युक्तांडपी (syncarpous), अण्डल की संख्या पाँच होने पर ये बाह्यदलाभिमुख (antisepalous) उदा. गार्डेनिया (Gardenia) अथवा दलाभिमुख (antipetalous) उदा. हेमेलिया (Hamelia) होते हैं। अण्डाशय प्रायः अधोवर्ती होता है। सिनेप्टेन्था (Synaptantha) में अण्डाशय अर्द्धअधोवर्ती (Half Inferior) तथा पेगेनिया (Pagamea) व गर्टनेरा (Gartnera) में अण्डाशय ऊध्ववर्ती (superior) होता है। सामान्यतः बीजाण्डन्यास (placentation) अक्षीय (axile) होता है तथा सामान्यतः कोष्ठकों की संख्या अण्डपों की संख्या के बराबर होती है। गार्डेनिया (Gardenia) में भित्तीय बीजाण्डन्यास (Parietal Placentation) होता है। कोष्ठ में 1-00 बीजाण्ड (ovule) होते हैं। वर्तिका संख्या में एक होती है जो पालियुक्त (lobed) वर्तिकाग्र में समाप्त होती है। वर्तिकाग्रीय पालियों की संख्या अण्डपों की संख्या के बराबर होता है। वर्तिका के आधार पर चक्र या कप के आकार की एक मकरंद स्रावित करने वाली चक्रिका (disc) पाई जाती है।
फल व बीज
फल शुष्क संपुटिका (Capsule) जो पटविदारक (septicidal) उदा. सिनकोना (Cinchona) या कोष्ठविदारक उदा. ओल्डेनलेण्डिया (Oldenlandia) होते है। कुछ वंशों में फल बेरी (Berry) होते हैं, उदा.- गार्डेनिया (Gardenia), मेस्सेण्डा (Mussaenda), बीज लघु एवं भ्रूणपोषी होते हैं। भ्रूणपोषी बहुधा माँसल होता है। कोफिया (Coffea) में यह उपस्थिमय (cartilaginous) होता है। भ्रूण सामान्यतः सीधा होता है परंतु कदाचित् उदा. रूबिया का भ्रूण मुड़ा होता है।
आर्थिक महत्व
कुल रूबिऐसी में आर्थिक महत्व के अनेक पादप सम्मिलित हैं।
1. औषधीय पादप (Medicinal Plants)
i. सिनकोना ऑफिसिनेलिस (Cinchona officinalis) इस पौधे की छाल से कुनैन (Quinine) नाम अल्केलॉयड प्राप्त किया जाता है जिसका प्रयोग मलेरिया में औषधि के रूप में किया जाता है। सिनकोना (Cinchona) की अन्य जातियाँ जिनसे कुनेन प्राप्त होती है वे हैं सि. केलीसाया (C. calisaya) सि. लेडजेरियाना (C. ledgeriana) सि. सक्सीरेब्रा (C. succirabra) एवं सि. कॉर्डीफोलिया (C. cordifolia) .
ii सेफेलिस एपीकाकुन्हा (Cephaelis ipecacuanha) यह पौध की जड़े वमनकारी (emetic) व कफोत्सारक (Expectorant) के रूप में उपयोग की जाती हैं। जड़े पायरिया (pyrrhoea) तथा अमीबीया पेचिस (Amebiod dysentry) के उपचार में भी उपयोगी हैं।
iii. म्यूसेण्डा ग्लेब्रेटा (Mussaenda glabrata) पौधों से प्राप्त औषधि ज्वर, खाँसी एवं दमा के उपचार में प्रयुक्त की जाती हैं।
2.. कॉफी (Coffee)- कॉफिया अरेबिका (Coffea arabica) कॉ. लाइबेरिका (C libarica) एवं कॉ. रोबस्टा (C. robusta) के भुने बीजों से कॉफी प्राप्त होती है। कॉफी स्फूर्तिदायक होती है।
3. काष्ठ (Wood)-
i . एन्थोसिफेलस इण्डिक्रस (Anthocephalus indicus) एवं मित्रागाइना पर्वीफ्लोरा Mitragyna parviflora) से हल्का काष्ठ प्राप्त होता है, जिसका उपयोग खिलौने, फर्नीचर, कृषि, औजार व नक्काशी करने में किया जाता है।
ii. इक्जोरा फेरिया (Ixora ferrea)- से अति कठोर काष्ठ प्राप्त होता है।
4. रंजक (Dyes)
i. रूबिया टिन्कटोरिया (Rubia tinctoria) के जड़ों में ऐलीजरीन (alizarin) व परप्यूरिन (purpurin) पाया जाता है। इनका प्रयोग एनिलीन रंजकों की खोज के पूर्व किया जिाता है।
ii. मोरिण्डा एन्गस्टिफोलिया (Morinda angustifola) से पीत व मो. ब्रेक्टिऐटा (M. bracteata) से लाल रंजक प्राप्त किया जाता है। ये रंजक जड़ों में होते हैं।
5. शोभाकार पौधे (Ornamental Plants)-
i. मुस्सेण्डा लूटिओला (Mussaenda Iuteola)
ii. मुस्सेण्डा फ्रोन्डोसा (Mussaenda frondosa)
iii. हेमेलिया पेटेन्स (Hamelia patens)
iv. इक्जौर कॉक्सीनिया (Isora coccinea)
V. पेण्टास लेन्सिओलेटा (Pentas ianceolata)
vi. गार्डेनिया लूसीडा (Gradenai lucida)
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वितरणटइस कुल के सदस्य मुख्यतः उष्णकटिबंधीय (Tropical) हैं। कुछ वंश जैसे रूबिया (Rubia) क्रूसियानिल्ला (Crucianella) शीतोष्ण (Temperate) क्षेत्रों में तथा कुछ वंश जैसे गेलियम (Galium) उत्तर ध्रुवीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
रूबिऐसी प्रमुख रूप से एक काष्ठीय (arborescent) वर्गक (Taxon) है। सिनकोना आफीसिनेलिस (Cinchona officinalis) नाक्लिया कदम्बा (Nauclea cadamba) आदि वृक्ष हैं। मुस्सेण्डा-लूटिओला (Mussaenda luteola) हेमेलिया पेटेन्स (Hamelia patns) कोफिया अरेबिका (Coffea arabica) क्षुप एवं गेलियम (Galium), बोरेरिया (Borreria), ओल्डेनलेण्डिया (Oldenlandia) शाकीय पौधों के उदाहरण हैं। इस कुल के कुछ सदस्य आरोही (climbers) होते हैं। अन्केरिया (Uncaria) एक हुक आरोही है। शाखाएँ हुक में रूपान्तरित होती हैं। रूबिया टिन्कटोरिया (Rubia tinctoria) अन्य पौधों पर कठोर पीछे मुड़े हुए रोमों द्वारा आरोहण करता है। इसमें फूले हुए बीजोधर (Hypocotyl) से कंद समान (Tuler like) स्तम्भ परिवर्धित होता है। यह स्तम्भ अनियमित दीर्घाओं (galleries) द्वारा छिद्रित (perforated) होता है। इसमें चीटियाँ निवास करती हैं। डूरोइया सेक्सीफेरा (Durora saccifera) के फूले हुए फ्लास्कनुमा (flask like) पर्णाधार में चीटियाँ निवास करती हैं। डूरोइया हिरसुटा (Duroia hirsuta) डुरोयिया पेलिओलेरिस (Duroia perliolaris) नाक्लिया (Nauclea) में चीटियाँ पुष्पक्र के नीचे शून (swollen) खोखले पर्व में निवास करती हैं। ये चीटियाँ सम्भवतः पुष्पों की अन्य हानिकारक कीटों से रक्षा करती हैं। उन धों को जिनमें चीटियाँ निवास करती हैं मिर्मीकोफिलस (Myrecophylous) कहते हैं।
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