Ranunculaceae(रेनुनकुलस)

Ranunculaceae(रेनुनकुलस)
Ranunculaceae(रेनुनकुलस)
Family-Ranunculaceae

निदानिक लक्षण –

यह प्रारम्भिक कुल के रूप में जाना जाता है। इसके अन्तर्गत 35 वंश तथा लगभग 1500 प्रजातियाँ सम्मिलित की गई हैं।

इस कुल के पौधे उत्तरी गोलार्द्ध के शीत स्थानों में पाये जाते है- जैसे यूरोप, उत्तरी अमेरिका, रूस इत्यादि। हमारे देश में बाहरी तथा मध्य हिमालय की तराई तथा पहाड़ों में इस कुल की अनेक जातियाँ पाई जाती हैं- जैसे, रेनुनकुलस Ranunculus, ओकोनिटम Aconitum, केल्या Caltha, धेलिक्ट्रम Thalictrum, अनिमोन Animone इत्यादि।

वर्धी लक्षण –

                      मूलतः इस कुल के पौधे शाकीय होते हैं- एक वर्षीय, जैसे, रेनुनकुलस सेलेरेटस Ranunculus celeratus, डेलिफनियम Delphinium ajasis, अजासिस नाइजेला सटाइवा Nigella saliva इत्यादि। राइजोम के कारण ये बहुवर्षीय भी होते हैं- जैसे, हेलेबोरस Helleborous सिमिसिफ्युगा Cimicifuga, या मसूला जड़ों के कारण भी बहुवर्षीय हो सकते हैं- जैसे, ओकोनिटम Aconitum, रेनुनकुलस Ranunculus इत्यादि। कुछ वंश बेलों या लता का रूप धारण करते हैं। क्लेमेटिस Clematis की कुछ जातियां जिनमें पर्णवृन्त प्रतान्नुमा रहता है अथवा नारवेलिया Naravelia, जिसमें वास्तविक प्रतान पाये जाते हैं। रेननकुलस Ranunculus वंश की कुछ जातियाँ जलीय स्थानों पर पायी जाती है, जैसे रा. लिन्नवा R. lingua, रा. इक्वेिटेलिस R. equitalis, रा. फ्लेमुसा R. flamusa इत्यादि। कुछ वंश- जैसे थेलिक्ट्रम Thelictrum, ओक्टिया Actaea में संवहन पुल एकबीजपत्री तने के समान बिखरे हुए होते है।

पर्ण –

सामान्यतः एकांतरी, पर्वफलक सरल अथवा कुछ कुछ पंजेनुमा विभाजित, अनुपर्ण विहीन तह पर्ण आधार फूलकर तने को आधा घेरता है। कभी-कभी थेलिक्ट्रम Thalictrum, कैल्था Caltha, रा. फिकोरिया R. ficoria, कॉप्टिस Coptis में स्टिप्पुल समान रचना भी पायी जाती है। क्लेमेटिस Clematis में पत्तियां सम्मुख तथा संयुक्त होती है।

नारवेलिया Naravelia की संयुक्त पत्ती में 3 से 5 पर्णक होते हैं, जिसमें से अंतस्थ (अग्रस्थ) पर्णक प्रतान बन जाता है। क्लेमेटिस अफाइला Clematis aphylla इसलिये उल्लेखनीय है कि इसमे पूरी पत्ती का रूपांतर प्रतान में हो जाता है, अतः प्रकाश संश्लेषण की क्रिया स्तम्भ द्वारा होती है। रा. अक्वाटिलीज R. equitalis में, जो पानी में उगने वाली जाति है, पत्तियां दो प्रकार की होती है। ओनिमोन Animone में पत्तियां मूलज होती हैं।

पुष्पीय लक्षण – 

                      एकल, अंतस्थ पुष्प ऐनिमोन Animone तथा नाइजेला Nigella में पाये जाते हैं। रेनुनकुलस Ranunculus तथा क्लेमेटिस Clematis में द्विशाखी समीमाक्ष पुष्पक्रम होता है। डेल्फिनियम Delphinium तथा ओकोनिटम Aconitum में असीमाक्ष पुष्पक्रम होता है। नाइजेला Nigellaमें पुष्प के नीचे पत्तियों का एक परिचक्र होता है।

पुष्प – 

            त्रिज्यासममित, ‘डेलफिनियम Delphinium, एकोनिटम Aconitum, एक्विलेजिया Aquilegia’ इत्यादि में एकव्यास सममित, जायांगधर (हाइपोगाइनस), पंचतयी, (पेण्टामीरस), उत्तल पुष्पासन (थेलामस) लेकिन मायोसुरस Nigella में लंबा रहता है।

परिदल पुंज –

सामान्यत’ परिदलपुंज का विभाजन बाह्यदलपुंज तथा दलपुंज में नहीं होता। ‘रेननकुलस Ranunculus, एकोनिटस Aconitum, डेल्फिनियम Delphinium, एक्विलेजिया Aquilegia‘ का उदाहरण अपवाद स्वरूप दिया जा सकता है, जिसमें बाह्यदलपुंज तथा दलपुंज पृथक रूप से उपस्थिति रहता है। पेरियन्थ के सदस्यों की संख्या 5-15 तक रहती है, जैसे- ‘केल्था’ Caltha । इनका रंग पेटल समान होता है।

इस कुल के आदि (प्रिमिटिव) पुष्प के तीन अंग हैं- 1 परिदलपुंज-पेरियन्थ, 2 पुंकेसर, जो कई वंशों में मकरंद पर्णों में (हनीलीब्ज) में परिवर्तित हो जाते हैं, तथा 3. अंडप (कार्पेल)। सामान्य पत्तियाँ जो तने पर एकांतरी तथा सर्पिलाकार विन्यास (अरेन्जमेन्ट) में उपस्थित रहती हैं, वे ही आगे चलकर परिदलपुंज में परिवर्तित होती हैं।

इस कुल में संदर्भ में ऐसे प्रमाण उपलब्ध हैं कि बाह्यदल निपत्रों का परिवर्तित रूप है तथा दल के सदस्य पुमंगों का परिवर्तित रूप है।

क्लेमाटिस Clematis में सिर्फ 4 सफेद रंग के पेरियन्थ सदस्य होते हैं। इनका पुष्पदलविन्यास (एस्टिवेशन) कोरस्पर्शी होता है। ‘रेननकुलस Ranunculus, ओकोनिटम Aconitum, डेल्फिनियम Delphinium इत्यादि वंशों में 5 सेपल्स पाये जाते हैं, इनका पुष्प दल विन्यास कोरछादी (इम्ब्रिकेट) अथवा क्विनकन्सियल प्रकार का होता है (इसमें दो सेपल्स अथवा पेटल्स पूर्णतया बाहर, दो पूर्णतया ढंके हुए तथा एक सेपल या पेटल का एक सिरा भीतर की ओर तथा दूसरा सिरा बाहर की ओर होता है)।डेल्फिनियम Delphinium में पश्च दल शुंडिकायुक्त (स्पर-दलपुटित) रहता है।

दलपुंज (करोला)- 

              कई वंशों में, जैसे ‘रेननकुलस Ranunculus, ओकोनिटम Aconitum, डेल्फिनियम Delphinium, अक्विलेजिया Aquilegia’ इत्यादि में दलपुंज पाया जाता है। डेल्फिनियम Del- phinium में दो पोस्टीरियर पेटल्स, जुड़कर फन का आकार धारण करते हैं, ‘अक्विलेजिया’ Aquilegia में पांचों दलपत्रों का आकार फन के समान रहता है। रेननकुलल Ranunculus में प्रत्येक पेटल के सतह पर उसके आधार के पास मकरंद कोष (नेक्टरी) होते हैं ‘हेलेबोरस Helleborous, सिमेसिफ्युगा Cimicifuga, ओक्अिया Actaea’ इत्यादि वंशों में पेट ल्स के स्थान पर मकरंद पर्ण उपस्थिति रहते हैं, इन मकरंद पर्णों की संख्या ‘नाइजेला’ में 8 होती है।

पुमंग (एन्ड्रोसियम)- 

               पुंकेसरों की संख्या अनेक, स्वतंत्र, बहिर्मुखी (Extrose) द्विकोष्ठी परागकोष, बेसिफिक्स्ड। इन पुंगकेसरो का विन्यास सर्पिलाकार (स्पाइरल) होता है। सामान्यतः इनकी 13 रेडियल (अरीय) कतारें होती हैं किन्तु इस संख्या में भी विविधता पायी जाती है।

जायांग (गाइनोसियम)- 

                                   अंडप अनेक, वियुक्तांडपी, उर्ध्ववर्ती, केवल ‘नाइजेला Nigella’ में 4-8 (सामान्यत 5), युक्तांडपी तथा उतने ही कोष्ठीय होते हैं, जितने अंडप होते हैं। बीजाण्डन्यास स्तंभीय होता है अन्यथा जायांग एककोष्ठीय तथा बीजाण्डन्यास आधरलग्न रहता है, जब एक ही बीजाण्ड उपस्थित हो। ‘रेननकुलस’ में बीजाण्ड निलंबी (पेन्डुलस) होता है। एनिमोन में एक जननक्षम (फर्टाइल) बीजाण्ड के अतिरिक्त कुछ रूद्धवृद्धि (अबॉर्टिव) बीजाण्ड भी पाये जाते हैं। बीजाण्ड न्यास सीमांत (मार्जिनल) होता है, जब बीजाण्डों की संख्या एक से अधिक हो। ‘हेलेबोरस Helleborous’ अथवा डेल्फिनियम Delphinium में बीजाण्ड दो कतारों में होते हैं। ‘रेननकुलस Ranunculus’ में अंकुश (हुक) के समान तथा ‘क्लेमाटिस Clematis’ और ‘ओनिमोन Animone’ में प्लुमोज (पंखनुमा) वर्तिकाग्र होता है।

परागण-

फलों का भड़कीला, चमकीला रंग, मकरंद तथा पंखड़ियाँ अनेक प्रकार के कीट आकर्षित करती है, अत कीट परागण होता है। फूल ‘प्रोट्रेन्ड्स’ होने से पर परागण स्वाभाविक है किन्तु यह असफल होने पर स्वयं परागण भी हो सकता है।

फल-

जायाँग में पाये जाने वाली विविधता फलों के विविध प्रकारों को जन्म देती है। जैसे- ‘रेननकुलस Ranunculus’, ‘क्लेमाटिस Clematis’, ‘ऐनिमोन Animone‘ इत्यादि में वियुक्ताडपी, एकबीजाण्डी जायांग होने से फल इटेरियो ऑफ अकीन्स होता है। ‘डेल्फिनियम Delphinium’, ‘एकोनिटम Aconitum’ आदि में बीजाण्ड संख्या अधिक होने से यह इटेरियो ऑफ फालीकल्स होता है। ‘नाइजेला Nigella‘ में युक्तांडपी जायांग होने से फल सेप्टीसाईडल केप्सूल होता है तथा ‘एक्टिया Actaea’ में एक ही अंडप में अनेक बीजाण्ड तथा अण्डाशय (ओवरी) माँसल होने के कारण फल, बेरी प्रकार का होता है। ‘क्लेमाटिस Clematis‘ तथा ‘ऐनिमोन Animone‘ की परसिस्टैंट पंखनुमा वर्तिका फलों को हवा के साथ इधर-उधर ले जाती है जबकि ‘रेननकुलस Ranunculus’ का अंकुशनुमा वर्तिकाग्र जानवरों के त्वचा में अथवा पक्षियों के परों में चिपक कर फलों के वितरण में सहायक होते हैं।

बीज-

बीज का आंतरिक विन्यास इस कुल का एक स्थिर लक्षण है। इस बीज में तेल-युक्त भ्रूणपोष की मात्रा भ्रूण की तुलना में बहुत अधिक होती है।

आर्थिक महत्व

इस कुल के अनेक पौधे औषधि प्रदान करते हैं तथा कई पौधे सुन्दर फूलों के कारण बगीचों में लगाये जाते हैं।

इन पौधों के नाम तथा प्राप्ति स्थान तथा उपयोग निम्नानुसार हैं।

Ranunculaceae(रेनुनकुलस)

उदाहरण – लकिस्पर (रेननकुलस स्क्लीरेटस)- 

रेननकुलेसी – लार्कस्पर – विवरण

प्रकृति – एक वर्षीय शाक

जड़ – मूसला जड़

तना – वायवीय, ऊर्ध्व, शाषित, बेलनाकार, खोखला, चिकना, हरा

पत्ती – सरल, विच्छेदित, हस्ताकार पालित, अननुपत्री, अवृन्त, बहुशिरीय जालिकावत शिराविन्यास।

पुष्पकम – ससीमाक्ष, प्रारूपिक रेसीम।

पुष्प – सवृन्त, निपत्री, सहपत्रिकायुक्त, द्विलिंगी, पूर्ण, अधोजायांगी, बैगनी रंग।

बाह्यदल पुंज – 5 दल, बैंगनी रंग युक्त, स्वतंत्र बाह्यदल, पश्च दल एक स्पर में रूपांतरित हो जाता है। विन्यास कुनकुनशियल प्रकार का होता है।

दलपुंज – 4 दल, संयुक्त, दो पश्च दल छोटे तथा एक दल लम्बे स्पर में रूपांतरित होकर पश्च बाहा दल के स्पर में प्रवेश किए रहता है। दल विन्यास कोरछादी प्रकार का होता है।

पुमंग – असंख्य, स्वतंत्र, चक्रिक, प्रायः 3-3 पुंकेसरों के 5 समूह होते हैं। पुतन्तु चपटे, परागकोष आधारलग्न।

जायांग – एकाण्डपी, पृथकाण्डपी, उत्तरवर्ती, एक कोष्ठीय, अण्डाशय, बीजाण्डन्यास सीमान्त, अण्डाशय रोमिल।

फल – फॉलिकल।

पुष्प सूत्र – Br, Brl,♀︎́K₅,C(₄)A ∝ 1₁

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